Sunday, 6 September 2020

Hindi Diwas - हिन्दी मेरा गर्व है


 सम्मान में कुछ कहूँ हिन्दी के, आज अवसर है, 

सिर्फ़ भाषा ही नहीं ये , हिन्दी मेरा गर्व है ||

हिन्दी ने बतलाए सबको नौ ग्रहों के नाम ,  

नासा खर्च कर देता  जिसपे अरबों अरब है  ||

अँग्रेज़ी कॅलंडर क्या करेगा तारीखों की गड़ना , 

हिन्दी पंचांग बताता , तिथियाँ और पर्व है ||

अनेकता में एकता, हिन्दी का ही असर है 

सिर्फ़ भाषा ही नहीं ये , हिन्दी मेरा गर्व है ||

माना संस्कृत में लिखे गये, मैनें हिन्दी में ही समझे ,

रिग वेद , साम वेद, यजुर वेद या अथर्व  है ||

हाथ मिलाना छोड़ दुनियाँ ने "नमस्ते" को अपनाया ,

पश्चिम सभ्यता को देखो ज़रा कितनी बे असर है ||


हिन्दी पहला अक्षर हमारा, हिन्दी ही हमारी सीड़ी,  

हिन्दी बोलने वालों पे क्यूँ हँसने लगी नयी पीड़ी ||

अब भी वक़्त है चलो सुधार जाते हैं ,

छोड़ पश्चिमी सभ्यता ,जड़ों से जुड़ जाते हैं ||

करते हैं कोशिश,देखें होता क्या असर है 

सिर्फ़ भाषा ही नहीं ये , हिन्दी मेरा गर्व है ||


Tuesday, 4 September 2018

Teachers Day special



जीवन की कठिनाईयों में संघर्ष करना सिखाता है
हर कदम पर गुरु विजय पथ दिखलाता है ,
हार भी जाएं हम तो हिम्मत हौसला बढ़ाता है ,
यूँ ही नहीं माँ बाप के बाद स्थान गुरु का आता है

नैतिकता का पाठ पढ़ाता ,अनुशासन हमें सिखाता |
ज्ञान का भण्डार हो कर भी ,गुरूर गुरु में कभी आता
कभी डॉटता कभी मारता , पर बुरा हमारा चाहता है ।।
यूँ ही नहीं माँ बाप के बाद स्थान गुरु का आता है



Tuesday, 19 September 2017

मैं हर्ष भी करता हूँ , विलाप भी करता हूँ


मैं हर्ष भी करता हूँ , मैं विलाप भी करता हूँ |
अंतर्यामी नहीं हूँ, इसीलिए सवाल भी करता हूँ ||

ना सम्मान का मोह ना अपमान का भय है ,
जो जी में आता है ,सरे आम भी करता हूँ |

परिश्रम भी करता हूँ , विश्राम भी करता हूँ ,
विज्ञान मानता हूँ , चार धाम भी करता हूँ |

किसी के तानाशाही मिज़ाज को ठेंस ना पहुँचे कभी ,
इसीलिए कुछ काम अपनी मर्ज़ी के खिलाफ भी करता हूँ |

श्रमा भी करता हूँ , मैं  दान भी करता हूँ ,
मोक्ष ना मिल जाए, इसीलिए  पाप भी करता हूँ

मैं हर्ष भी करता हूँ , मैं विलाप भी करता हूँ |
अंतर्यामी नहीं हूँ, इसीलिए सवाल भी करता हूँ ||

Thursday, 31 August 2017

आज़ादी - असली शूर वीरों को नमन |

दे दी हमें आज़ादी बिना हाथ पैर मार ,
बहादुरों की शहादत तुमने कर दी बेकार |
जब जिया मौत को उन्होनें करीब से ,
तब कितना खून बहाया तुमने अपने शरीर से |
अहिंसा को बनाते रहे खड़ग और ढाल ,
वीरों की शहादत का तुमने किया तिरस्कार |
काकोरी में धावा बोला अँग्रेज़ों की रेल में ,
तुम कायर घुसे रहे फिरंगियों की जेब में |
अयाशियाँ की तुमने, हाथ मिलाया अमीरों से ,
श्रेय ले गये तुम सारा, देश के सच्चे वीरों से ||

किस बात के साधू बन गये तुम साबरमती के ,
तुम कारण थे शूरवीरों की बहूमूल्य  श्रति के ||

नहीं रोकी फाँसी उनकी, कर दिया संहार ,
दे दी हमें आज़ादी बिना हाथ पैर मार ,
बहादुरों की शहादत पे तुम ना हुए शर्म सार ||

Thursday, 29 June 2017

Ladies Shopping Model of Software Design



Disclaimer :

ऊपर नीचे दिए गये सभी विचार लेखक के अपने विचार हैं , दुनियाँ का कोई भी software engineer  इस सच्चाई से इत्तेफ़ाक़ रखता होगा | सभी  coder मित्रों से अनुरोध है कि कम से कम किसी इंटरव्यू में इस मॉडेल का ज़िक्र ना करें | अगर ऐसा करते भी हैं तो रिजेक्ट होने की लेखक की कोई ज़िम्मेवारी नहीं होगी |

आपका प्रॉजेक्ट किसी भी SDLC के साथ शुरू हुआ हो, वो घूम फिर के Ladies shopping modle से मिल जाता है |

आप सबने कभी ना कभी ये ज़रूर सोचा होगा की collage का पढ़ा हुआ कभी काम नही आया | 6 साल हो गये  नौकरी को, मगर  आज  तक  Finite Automata   देखा न बनाया |
B.Tech करते समय हम विभिन्न प्रकार की ‘सॉफ्टवेर डेवेलोपेमेंट लाइफ साइकल’ (SDLC) के बारे में पढ़ते तो हैं , लेकिन याद रहता है सिर्फ़ Water fall.

अगर फाइनल ईयर के नौजवान से भी पूछ लो तो उसने भी अपना मेजर प्रॉजेक्ट "Water Fall" में ही बनाया होगा |
एक सपोर्ट प्रॉजेक्ट का बंदा भी जब जावा का इंटरव्यू देने जाता है तो उसका वो फर्जी जावा  डेवेलपमेंट प्रॉजेक्ट भी Water Fall में ही बना होता है |

लेकिन !!!! वास्तविकता में हम कौन सी SDLC फॉलो करते हैं ?
जब डेड लाइन का डंडा हो |
जब मॅनेजर बोलता है , कुछ भी कर के दे दे, अभी के लिए काम हो जाए |
कोई भी जुगाड़ कर के फटाफट बना दे , आज DM को प्रेज़ेंटेशन देनी है | etc etc. . .

इतने प्रेशर के बाद जनम लेती है एक ऐसी SDLC, जिसके बारे में आपको किसी किताब में, किसी कक्षा में नहीँ पढ़ाया जाता |
Happy to announce my very own SDLC :

"Ladies Shopping Model of Software design"

Spiral Method (SDM), Waterfall Model और
V-Shaped Model.
आपको पढ़ाए गये ये सारे SDLC model मेरे बनाए हुए "Ladies Shopping model" के ही बच्चे हैं यानी sub class हैं |
इसका नाम “Ladies Shopping” क्यूँ पड़ा, इसके कई कारण हैं |
इस मॉडल के ज़रिए आप Software ठीक ऐसे बना सकते हैं जैसे महिलायें शॉपिंग करती हैं | आइए नज़र डालते हैं कुछ समानताओं पर |

पहली समानता
Shopping करते वक़्त महिलाओं को और Coding करते वक़्त Coder को , ये पता ही नहीं होता कि इनकी requirement क्या है,  इनको चाहिए क्या ?  क्या लेना है , क्या बनाना है , क्या include करना है  |

दूसरी समानता
इनका documentation कमाल का होता है | Shopping से पहले महिलाओं की Shopping list और Coding से पहले coder के documents, follow हों ना हों बनते ज़रूर हैं | 50 बार review भी होते हैं |

तीसरी समानता  
2 घंटे के काम होता है तो 6 घंटे की प्लानिंग होती है | और फिर भी काम प्लानिंग से हो जाए तो बड़ी बात है |

चौथी समानता
जो प्रॉडक्ट हम प्लान करते हैं, और जो प्रॉडक्ट बनता है , उसमे ज़मीन आसमान का अंतर होता है | महिलायें लेने कुछ जाती हैं , लेके कुछ और ही आती हैं | एक फाइनल सॉफ्टवेर प्रॉडक्ट, सबसे पहले बनाए गये डॉक्युमेंट से बिल्कुल अलग होता है |

पाँचवीं समानता
Coder को  coding  करते समय और  महिलाओं को  shopping  करते समय , ना खाने का होश होता है ना पीने का | ( suttaa is excluded )

छठी समानता
कोडिंग और शॉपिंग अक्सर वीकेंड पे जायदा अच्छी और शान्ति से होती है |

सारे किताबी SDLC का अंत “Ladies Shopping Model” पे आके ही होता है | TDD को छोड़ के | 

TDD (Test Driven Development) , अकेली ऐसी SDLC है, जो “Aeroplane model of software development” से निकली है |
TDD और Aeroplane में समानता ये है कि ये दोनो हवा में ही काम करते हैं | 
“Aeroplane Model of Software Development” पे चर्चा फिर किसी Friday को होगी , तब तक के लिए धन्यवाद |

Saturday, 7 January 2017

|| प्रदेश में चुनाव आ रहे हैं ||


महँगाई दिखती रही उसे प्याज टमाटर दालों में ,
पर वो खुद ना दिखा जनता को पाँच सालों में
वो रैली में दौड़ते नवाब रहे हैं ,
लगता है प्रदेश में चुनाव रहे हैं ||

बिन मतलब वो आरक्षण की दूध मलाई बाँट रहा ,
फ्री में बिजली पानी तो कोई वाई फ़ाई बाँट रहा |
लॅपटॉप मिलने के दिन फिर एक बार रहे हैं ,
लगता है प्रदेश में चुनाव रहे हैं ||

पुलिस तैनात खड़ी है अब हर चौराहों में ,
अंधियारा रहता था अब तक जिन राहों में |
वहाँ स्ट्रीट लाइट जलने के नज़र आसार रहे हैं ,
लगता है प्रदेश में चुनाव रहे हैं ||

कोई वारदात होती नहीं दिन दहाड़े चौक पे ,
बैंक भी लुटते नहीं अब बंदूक की नोंक पे |
खाते में पेंशन के पैसे अपने आप आ रहे हैं |
लगता है प्रदेश में चुनाव रहे हैं ||

Sushant Jain