Thursday, 31 August 2017

आज़ादी - असली शूर वीरों को नमन |

दे दी हमें आज़ादी बिना हाथ पैर मार ,
बहादुरों की शहादत तुमने कर दी बेकार |
जब जिया मौत को उन्होनें करीब से ,
तब कितना खून बहाया तुमने अपने शरीर से |
अहिंसा को बनाते रहे खड़ग और ढाल ,
वीरों की शहादत का तुमने किया तिरस्कार |
काकोरी में धावा बोला अँग्रेज़ों की रेल में ,
तुम कायर घुसे रहे फिरंगियों की जेब में |
अयाशियाँ की तुमने, हाथ मिलाया अमीरों से ,
श्रेय ले गये तुम सारा, देश के सच्चे वीरों से ||

किस बात के साधू बन गये तुम साबरमती के ,
तुम कारण थे शूरवीरों की बहूमूल्य  श्रति के ||

नहीं रोकी फाँसी उनकी, कर दिया संहार ,
दे दी हमें आज़ादी बिना हाथ पैर मार ,
बहादुरों की शहादत पे तुम ना हुए शर्म सार ||