मैं हर्ष भी
करता हूँ , मैं
विलाप भी करता
हूँ |
अंतर्यामी नहीं हूँ,
इसीलिए सवाल भी
करता हूँ ||
ना सम्मान का मोह
ना अपमान का
भय है ,
जो जी में
आता है ,सरे
आम भी करता
हूँ |
परिश्रम भी करता हूँ , विश्राम भी करता हूँ ,
विज्ञान मानता हूँ , चार धाम भी करता हूँ |
किसी के तानाशाही मिज़ाज
को ठेंस ना पहुँचे कभी ,
इसीलिए कुछ
काम अपनी मर्ज़ी
के खिलाफ भी
करता हूँ |
श्रमा भी करता
हूँ , मैं दान भी
करता हूँ ,
मोक्ष ना मिल
जाए, इसीलिए पाप भी
करता हूँ
मैं हर्ष भी
करता हूँ , मैं
विलाप भी करता
हूँ |
अंतर्यामी नहीं हूँ,
इसीलिए सवाल भी
करता हूँ ||