Tuesday, 19 September 2017

मैं हर्ष भी करता हूँ , विलाप भी करता हूँ


मैं हर्ष भी करता हूँ , मैं विलाप भी करता हूँ |
अंतर्यामी नहीं हूँ, इसीलिए सवाल भी करता हूँ ||

ना सम्मान का मोह ना अपमान का भय है ,
जो जी में आता है ,सरे आम भी करता हूँ |

परिश्रम भी करता हूँ , विश्राम भी करता हूँ ,
विज्ञान मानता हूँ , चार धाम भी करता हूँ |

किसी के तानाशाही मिज़ाज को ठेंस ना पहुँचे कभी ,
इसीलिए कुछ काम अपनी मर्ज़ी के खिलाफ भी करता हूँ |

श्रमा भी करता हूँ , मैं  दान भी करता हूँ ,
मोक्ष ना मिल जाए, इसीलिए  पाप भी करता हूँ

मैं हर्ष भी करता हूँ , मैं विलाप भी करता हूँ |
अंतर्यामी नहीं हूँ, इसीलिए सवाल भी करता हूँ ||