क्या हुआ जो हम गुनाहगारों को रोक नहीं सकते |
क्या हुआ जो हम अत्याचारों को रोक नहीं सकते ||
वो हमारे इशारों पर ही तो ये अपराध करते हैं |
हम मरने वाले के परिवार को मुहावजे का एलान करते हैं ||
सत्ता हो किसी की भी , तेरी दुनियाँ बर्बाद है |
तू आम आदमी है, तेरा यही अपराध है ||
सब कुछ हमारी मुट्ठी में है , तेरी क्या चलेगी |
दंगे हम करवाएंगे , कार और दुकान तेरी जलेगी ||
क्या हुआ अगर ये दंगे हम सरे आम करते हैं |
हम गंभीर रूप से घायल पीड़ितों को मुजावजे का एलान करते हैं ||
क्या हुआ जो बीच सड़क पे छेड़छाड़ को रोक नहीं सकते |
क्या हुआ जो अस्मत के खिलवाड़ को रोक नहीं सकते ||
गुनाहगारों को हम पकड़ नहीं सकते |
हथकड़ियां उनके हाथों में जकड़ नहीं सकते ||
अखबार में ही सही, हम महिलाओं का सम्मान करते हैं |
हम शहर में महिला स्पेशल बस चलवाने का एलान करते हैं ||
हम तो कुछ भी एलान कर दें , कौन सा हमारी जेब से जायेगा |
इनकम टैक्स जो भरा है तुमने, वो कब काम आएगा ||
तुम्हारे उन पैसों से ही हम ऐश सुबह शाम करते हैं |
उसने मूरतियाँ बनवा दीं, हम लैपटॉप बांटने का एलान करते हैं ||
© Sushant Jain
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wao..behatareen sushant bahut sahi.
ReplyDeleteThankyou sir ji
Deletebehtareen sir...
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