Saturday, 13 April 2013

" Support Project की आत्मकथा "



चौबीस घंटे सातों दिन,  चलता रहता  ये  Project |
अच्छे अच्छे इसके  Interview  में हो जाते  Reject  ||
Do you know Unix and Java, Do you know Spring??
क्यों कि ये Project है very Crunch and Challenging ||

Neither any understanding nor any clarity |
फिर भी "We are looking this issue on highest priority" ||
"Any Update" का  Mail देख दिमाग हो जाता Roasted  |
"We are analyzing issue and will keep you posted"  ||

हर  Shift  में रोजाना आती एक ऐसी  Mail  |
Application got stuck due to off instance fail  ||
फिर शुरू होता Escallation, CC में होते  PM  |
हम लिखते हैं, "DEV is Running out of VM" ||

ना देखा कभी Eclipse, ना देखा कोई Code |
करते रहे हम Servers को In The Maintenance Mode ||
न काम आती कोई किताब, ना काम आता Google  |
जब Profile अटक  जाती  है On Lead Approval ||
Status Call  में चिल्लाने का PM को है कीड़ा
कहता है "I handle this issue ,You update in  Jira"

Team coma  में आ जाती है, जुबान पे लग जाता है Pause
जब  User पूछता है "What Was the Root Cause ??"

Issue  किसी  भी Team  का हो,  किसी भी Environment Zone  का |
खेल है सारा Recycle ,Redeploy, ज्यादा से ज्यादा  Clone  का ||

अंत में कवि का दर्द , कविता का सार---

Support  का मूल मंत्र कहता हूँ.... सुन लो विस्तार से |
हर Issue Solve हो जाता है एक Restart  से ||
हर Issue Solve हो जाता है एक Restart  से ||


© Sushant Jain
iSushantJain.blogspot.in
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Twitter @digitallyyour










Wednesday, 3 April 2013

मंत्री जी मुहावजे का एलान करते हैं


क्या हुआ जो हम गुनाहगारों को रोक नहीं सकते |
क्या हुआ जो हम अत्याचारों को रोक नहीं सकते ||
वो हमारे इशारों पर ही तो ये अपराध करते हैं |
हम मरने वाले के परिवार को मुहावजे का एलान करते हैं ||

सत्ता हो किसी की भी , तेरी दुनियाँ बर्बाद है |
तू आम आदमी है, तेरा यही अपराध है ||
सब कुछ हमारी मुट्ठी में है , तेरी क्या चलेगी |
दंगे हम करवाएंगे , कार और दुकान तेरी जलेगी ||
क्या हुआ अगर ये दंगे हम सरे आम करते हैं |
हम गंभीर रूप से घायल पीड़ितों को मुजावजे का एलान करते हैं ||

क्या हुआ जो बीच सड़क पे छेड़छाड़ को रोक नहीं सकते |
क्या हुआ जो अस्मत के खिलवाड़ को रोक नहीं सकते ||
गुनाहगारों को हम पकड़ नहीं सकते |
हथकड़ियां उनके हाथों में जकड़ नहीं सकते ||
अखबार में ही सही, हम महिलाओं का सम्मान करते हैं |
हम शहर में महिला स्पेशल बस चलवाने का एलान करते हैं ||

हम तो कुछ भी एलान कर दें , कौन सा हमारी जेब से जायेगा |
इनकम टैक्स जो भरा है तुमने, वो कब काम आएगा ||
तुम्हारे उन पैसों से ही हम ऐश सुबह शाम करते हैं |
उसने मूरतियाँ बनवा दीं, हम लैपटॉप बांटने का एलान करते हैं ||

© Sushant Jain
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