Tuesday, 12 March 2013

कल से पढेंगे




नौवीं पास कर हम दसवीं में क्या आ गए |
लोग Board  की तैयारी का सुझाव देने आ गए ||
अप्रैल के बाद मई जून की छुट्टियां जो आयीं  |
भूल गए हम अप्रैल की सारी पढ़ाई  ||

पूरे महीने चढ़ा रहा फिल्मों का जूनून |
देखते हे बीती मई, आ गया जून ||
Holidays homework हम कल से पक्का शुरू करेंगे |
थोड़ा थोड़ा syllabus exam के लिए कल से पढेंगे ||

यही सोचते सोचते जून गुजर गयी |
जुलाई में homework की मार बरस गयी ||
इधर उधर से टाप के हमने होमवर्क पूरा किया |
पर अगस्त तक current Syllabus अधूरा किया ||

सोचा अभी तो सितम्बर ही है, बाद में पढ़ लेंगे |
रात रात भर जाग के किताबें  रगड़ लेंगे ||
अक्टूबर के Term Exam में थोड़ा बहुत पढ़ा |
ऐसा लगा मनो हम पे हिमालय गिर पड़ा ||

नवम्बर में दिवाली आई तो हो गया घर में उजाला |
दिसम्बर में PreBoards आये , निकल गया हमारा दीवाला ||
दसवीं का Syllabus भी भैया कम नहीं होता था |
पर हमारा रजाई से निकलने का मन नहीं होता था ||

जनवरी  में रिलीज़ हो गयी "कहो ना प्यार है" |
टीचर बोले "तुम्हारा PreBoard  का  Result  तैयार है" ||

नीचे से हमारी First Rank  आ गयी |
फरवरी में माधुरी की "पुकार" आ गयी ||

यूं ही फिल्में देखते , गुजर गयी फरवरी  |
मार्च के शुरू होते ही, शुरू हुई गड़बड़ी ||
Question Bank पढ़ पढ़ के हमने परिक्षा निकली |
मार्च के अंत तक सूरत हो गयी कंगाली ||

कवि का दर्द – MORAL OF THE STORY --
कभी न कहना  "कल से पढेंगे", कल का नहीं कोई भरोसा |
कहीं जीवन न बन जाये, बिन आलू का  समोसा ||



© Sushant Jain
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