इस कविता में कवि अपने प्रियजनों से बिछड़ने के दर्द को
सांसारिक वस्तुओं से तुलना करता है ---
तुम कुछ इस तरह गए हो हमें छोड़ कर,
जैसे संसद गयी हो दिल्ली छोड़ कर , जैसे सांभर गया हो इडली छोड़ कर |
मुर्दा गया हो जनाजा छोड़ कर, नाड़ा गया हो पजामा छोड़ कर |
झाग गया हो साबुन छोड़ कर. चाशनी गयी हो गुलाब जामुन छोड़ कर |
मद्रासी गया हो डोसा छोड़ कर, आलू गया हो समोसा छोड़ कर |
तुम कुछ इस तरह गए हो हमें छोड़ कर |
लाइट गयी हो जुगनू छोड़ कर, लैला गयी हो मजनू छोड़ कर |
शराबी गया हो शराब छोड़ कर, डॉक्टर गया हो बीमार छोड़ कर |
पतंगा गया हो आग छोड़ कर , आरिअल गया हो दाग छोड़ कर |
तुम कुछ इस तरह गए हो हमें छोड़ कर ...
© Sushant Jain
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